भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
धनुर्वाणांपाशंश्रृणिमपि दधाना करतलैः
पुरस्तादास्तांनः पुरमथितु राहो पुरुषिका ॥७॥
</poem>