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सतीश शुक्ला 'रक़ीब' / परिचय

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सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
मूल नाम : सतीश चन्द्र सतीशचन्द्र कृपाशंकर शुक्ला
उपनाम : रक़ीब लखनवी
प्रचलित नाम : सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
जन्म तिथि : अप्रैल 04 , 1961
पिता : श्री कृपाशंकर श्यामबिहारी शुक्ला
माता :(स्वर्गीया) श्रीमती लक्ष्मी देवी लक्ष्मीदेवी कृपाशंकर शुक्ला
भाई - बहन : ऊषा, शोभा, सुनील, सुधीर, आशा, शशि, सुशील एवं मंजू
पत्नी एवं पुत्री : अनुराधा - सागरिका
शिक्षा : एम० ए०, बी० एड०, डी०सी०पी०एस०ए०(कम्प्युटर)
 
वर्तमान सम्प्रति : इस्कॉन, मुंबई में सहायक प्रबंधक
'गंगो-जमन की ख़ुशबू है ' अर्बाबे-क़लम : 11 / 34 अप्रैल - जून 2012 देवास, म.प्र.
'गुज़री है रात कैसे' मुंबई के हिंदी कवि - काव्य संग्रह : जुलाई वर्ष 2012 : मुंबई (महाराष्ट्र)
'"परेशाँ है मेरा दिल' मेरी आँखें भी हैं नम कुछ कुछ" : अर्बाबे-क़लम : 12 / 35 जुलाई - सितम्बर 2012 देवास, म.प्र.
'करमचंद और पुतलीबाई के बेटे थे गाँधी जी' : "गाँधी जयंती स्मारिका" - 2012 मुंबई (महाराष्ट्र)
"परेशाँ है मेरा दिल मेरी आँखें भी हैं नम कुछ कुछ" / “हवा के दोश पे किस गुलबदन की ख़ुशबू है : "छंद-प्रभा" : ऑनलाइन अंतर्जालीय पत्रिका : संपादक - संजय सरल : जुलाई 2012 : देवास, म.प्र.
'मीठे अल्फ़ाज़ की जज़्बात पे बारिश' अर्बाबे“: “अर्बाबे-क़लम : 13 / 30 अक्टूबर - दिसम्बर 2012 देवास, म.प्र.
'होठों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती' :"अर्बाबे-क़लम":14/44 जनवरी - मार्च 2013 देवास, म.प्र.
'मुश्किल से महीने नें बचाता है वो जितना // उतने में तो खाँसी की दवा तक नहीं आती' अंदाज़े-बयाँ उप शीर्षक अर्बाबे-क़लम : 14 / 16 जनवरी - मार्च 2013 देवास, म.प्र.
'लाखों अरमान थे काग़ज़ पे निकाले कितने' : "अदबी दहलीज़" :1/31: जनवरी-मार्च 2013 : सरायमीर, आज़मगढ़ उ.प्र.
'चाहते हैं अब भुला दें उसको अपने दिल से हम’ – 84 वर्षों से अनवरत प्रकाशित उर्दू का अन्तर्राष्ट्रीय रिसाला -"शायर" मुंबई (उर्दू) पेज 70 वॉल्यूम 57(84) इशू जनवरी - फ़रवरी 2013 - मुंबई (महाराष्ट्र)
'परेशाँ है मेरा दिल मेरी आँखें भी हैं नम कुछ कुछ'-84 वर्षों से अनवरत प्रकाशित उर्दू का अन्तर्राष्ट्रीय रिसाला -"शायर" मुंबई (उर्दू) पेज 70 वॉल्यूम 57(84) इशू जनवरी - फ़रवरी 2013 - मुंबई (महाराष्ट्र)
“बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे" : रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष - 6: अंक 23: पृष्ठ - 41 : अक्टूबर-दिसम्बर 2014 : भोपाल म.प्र.
"अंजान हैं इक दूजे से पहचान करेंगे" : अदबी दहलीज़ : 2/2/23 अक्टूबर-दिसम्बर 2014 : सरायमीर, आज़मगढ़ उ.प्र.
“ये हक़ीक़त या ख़्वाब है कोई" / "चुप कहाँ रहना, कहाँ पर बोलना है" : गीत गागर: :अंक-8 : पृष्ठ- 35 :अक्टूबर-दिसम्बर 2014 : पत्र-पृष्ठ - 09 : भोपाल म.प्र.
"अंजान हैं इक दूजे से पहचान करेंगे" / प्रेरणा-अंशु / वर्ष - 27 : अंक – 8 : पृष्ठ - 23 : दिसंबर 2014 : दिनेशपुर, उत्तराखंड.
“सुब्ह नौ के है तू रोशनी भी सनम" / "आँसुओं से अपना दामन तर-बतर होने के बाद" / " बताऊँ क्यों अजीब हूँ" : अभिनव इमरोज़: वर्ष - 4 :अंक - 1 : जनवरी 2015 : पृष्ठ- 25 : नई दिल्ली-70
“रूह कहते हैं जिसको क्या है वो” : अर्बाबे-क़लम : 22/20 : जनवरी-मार्च 2015 : देवास, म.प्र.
“कुछ को तो शबो-रोज़ कमाने की पड़ी है" : रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष - 7: अंक 24: पृष्ठ - 70 : जनवरी-मार्च 2015 : भोपाल म.प्र.
"हवा के दोश पे किस गुलबदन की ख़ुशबू है" -84 वर्षों से अनवरत प्रकाशित उर्दू का अन्तर्राष्ट्रीय रिसाला -"शायर" मुंबई (उर्दू) पेज 47 वॉल्यूम 59(86) इशू अप्रैल 2015 - मुंबई (महाराष्ट्र)
'क्यों जुबां पर मेरी आ गयी हैं प्रिये' : "प्राची प्रतिभा" : वर्ष - 5 : अंक - 60 : पृष्ठ - 34 : अप्रैल 2015 : लखनऊ उ.प्र.
"है आदिकाल से मानव का आचरण मित्रो" : "प्रेरणा" : अंक - 46 / 2015 : पुवायां, शाहजहाँपुर उ.प्र.
"दो सज़ा शौक़ से सज़ा क्या है" : "अनन्तिम" : वर्ष - 6 : अंक - 24 : पृष्ठ - 19 : कानपुर (उ.प्र.)
"हसरते-बोसा-ए-रुख़सार नहीं थी, कि जो है" / "कुछ को तो शबो-रोज़ कमाने की पड़ी है" :अदबी दहलीज़: 2/14/62 :अप्रैल-जून 2015:सरायमीर, आज़मगढ़ उ.प्र.
“वह सताता है दूर जा-जा कर" : रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष - 7: अंक - 25 : पृष्ठ - 37 : पत्र प्रकाशित : पृष्ठ - 76 : अप्रैल-जून 2015 : भोपाल म.प्र."कुछ को तो शबो-रोज़ कमाने की पड़ी है" : "साहित्य कलश" : वर्ष - 2 : अंक - 2 : पृष्ठ - 4 : अप्रैल - जून 2015 : पटियाला (पंजाब)
"ये हक़ीक़त या ख़्वाब है कोई" : "विधि पताका" : पृष्ठ - 11 : 12 जून 2015 : कानपुर, उ.प्र.
"काश! इक बार मिल सकूँ उससे" "संयोग साहित्य" वर्ष - 18 : अंक - 4 : पृष्ठ - 73 : और ब्रजेश पाठक 'मौन' सम्मान समारोह की रिपोर्ट में काव्य पाठ में सहभागिता दर्ज़ : पृष्ठ - 94 : अक्टूबर - दिसम्बर 2015 : भायंदर (पूर्व) , मुंबई (महाराष्ट्र)"जिसको देखो 'रक़ीब' पढ़ता है / जैसे चेहरा किताब है कोई" / शैल-सूत्र / उपशीर्षक / उड़ते परिन्दे - विनय 'सागर' / वर्ष - 8 : अंक - 2 : पृष्ठ - 52 : अप्रैल - जून 2015 : बिन्दुखत्ता, लालकुआँ, नैनीताल (उत्तराखंड).“कुछ को तो शबो-रोज़ कमाने की पड़ी है" / "ये हक़ीक़त या ख़्वाब है कोई" : "सरमाया हिंद" :: वर्ष- 1 : अंक - 6 : पृष्ठ - 19 : जून – 2015 :साहिबाबाद , गाज़ियाबाद, उ.प्र.
"अंजान हैं, इक दूजे से पहचान करेंगे" / "बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे" / "क्यों जुबां पर मेरी आ गयी हैं प्रिये" / "रूह कहते हैं जिसको क्या है वो" / "यह हक़ीक़त कि ख़्वाब है कोई" / उफ ! मिटा पाए न जिसकी याद अपने दिल से हम" / "हवा के दोश पे किस गुलबदन की ख़ुशबू है" / "आज माहौल दुनिया का खूँरेज़ है" / " होटों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती" / "दिलों में फिर वो पहली सी, मोहब्बत हो अगर पैदा" / "है आदि काल से मानव का आचरण मित्रो" / "लाखों अरमान थे काग़ज़ पे निकाले कितने" : "अदबनामा" : वर्ष - 2 : पूर्णांक - 5 : ग़ज़लिस्तां (एक ही शाइर की अनेक ग़ज़लें) : और परिचय : पृष्ठ - 63 से 66 (चार पूर्ण पृष्ठ ) : जुलाई-सितम्बर 2015 : नरोभास्कर, जालौन उ.प्र.
"किनारे अब सड़क के सोएगा कैसे उसे डर है / बड़ी सी क़ीमती गाड़ी कुचल जाए तो क्या होगा" : "कॉलम क़लम के कमाल" : हिंदी साप्ताहिक "स्वर्ण जयंती प्रतिबिम्ब" : वर्ष -17 : अंक - 22 : पृष्ठ - 2 : 26 अगस्त 2015 : फरीदाबाद (हरियाणा)
"किनारे अब सड़क के सोएगा कैसे उसे डर है / बड़ी सी क़ीमती गाड़ी कुचल जाए तो क्या होगा" : "कॉलम क़लम के कमाल" : हिंदी साप्ताहिक "स्वर्ण जयंती प्रतिबिम्ब" : वर्ष -17 : अंक - 23 : पृष्ठ - 2 : सितम्बर 14, 2015 : फरीदाबाद (हरियाणा)
"ज़ह्नो दिल में हर इक के उतर जाइए / बन के ख़ुशबू फ़जाँ में बिखर जाइए / गर्दिशे वक़्त ख़ुद ही पशेमान हो / राहे पुरखार से यूं गुजर जाइए" : "बहरे क़त्आत" : हिंदी साप्ताहिक "स्वर्ण जयंती प्रतिबिम्ब" : वर्ष -17 : अंक – 24-25 : पृष्ठ - 4 : 4 अक्तूबर 2015 : फरीदाबाद (हरियाणा)
"ज़माने से न बदला जो बदल जाए तो क्या होगा" : हिंदी साप्ताहिक "स्वर्ण जयंती प्रतिबिम्ब" : वर्ष -17 : अंक - 20 : महफ़िले शायरी : 29 वां अंक : अगस्त 2015 : फरीदाबाद (हरियाणा)
"आपकी राय में पत्र प्रकाशित" : सरमाया हिंद : वर्ष - 1 : अंक - 8 : पृष्ठ - 5 : अगस्त 2015 : साहिबाबाद, गाज़ियाबाद (उ.प्र.)
"वह सताता है दूर जा जा कर" : हिंदी साप्ताहिक "स्वर्ण जयंती प्रतिबिम्ब" : स्वतंत्रता दिवस विशेषांक : वर्ष -17 : अंक - 21 : महफ़िले शायरी : अगस्त 15, 2015 : फरीदाबाद (हरियाणा)
"पत्रांश शीर्षक के तहत पत्र प्रकाशित" : अभिनव इमरोज़ : वर्ष - 4 :अंक - 9 : सितम्बर 2015 : पृष्ठ - 86 : नई दिल्ली – 70
"फिर से शहनाइयाँ, शामियाने में हैं" / वह सताता है दूर जा जा कर / "संयोग साहित्य" वर्ष - 18 : अंक - 4 : पृष्ठ - 73 : अक्टूबर - दिसम्बर 2015 : भायंदर (पूर्व) , मुंबई (महाराष्ट्र)
"हर एक लफ़्ज़ पे वो जाँ निसार करता है" : ”अदबी दहलीज़” : वर्ष - 3 : अंक - 2 : पृष्ठ - 32 : अक्टूबर - दिसम्बर 2015 : सरायमीर, आज़मगढ़ उ.प्र.
"सवेरे के सूरज की पहली किरन तू / दिया है मुझे तू ने अपना उजाला / तेरे हुस्न पर शे'र कहता रहूँगा / तेरा हुस्न है हर हसीं से निराला" : "बहरे क़त्आत" : हिंदी साप्ताहिक "स्वर्ण जयंती प्रतिबिम्ब" : वर्ष -17 : अंक - 29 : पृष्ठ - 5 : 15 नवम्बर 2015 : फरीदाबाद (हरियाणा)
"ज़ह्नो-दिल में हर इक के उतर जाइए" / "क्यों जुबां पर मेरी आ गयी हैं प्रिये : "दृष्टिकोण" सोपान : 18-19 पृष्ठ -
82 : फ्रैंड्स हेल्पलाइन, कोटा (राजस्थान).
"चुप कहाँ रहना कहाँ पर बोलना है" : "प्रेरणा" चतुर्मासिक : पृष्ठ -12 : अंक -47 : 2015 : पुवायां, शाहजहाँपुर उ.प्र.
"अभावों से ग्रसित ये बस्तियाँ हैं" : "नई लेखनी" : अंक - 9 : पृष्ठ - 25 : जुलाई - दिसम्बर 2015 : बरेली (उ.प्र.)
"एक हो जायेंगे इक दिन जहनो-दिल जुड़ जायेंगे / और मुसाफिर अपने-अपने मोड़ पर मुड़ जायेंगे / बालो-पर भीगे हुए हैं, सूख जाने दो जरा / पेड़ पर बैठे परिंदे , खुद-ब-खुद उड़ जायेंगे" : "बहरे क़त्आत" : हिंदी साप्ताहिक "स्वर्ण जयंती प्रतिबिम्ब" : वर्ष -17 : अंक - 32-33: : 27 दिसम्बर 2015 - 3 जनवरी 2016 : फरीदाबाद (हरियाणा)
“हवा के दोश पे किस गुलबदन की ख़ुशबू है”: परिधि-14: अंक-14:पृष्ठ-72: हिन्दी-उर्दू मजलिस :सागर (म.प्र.)
'लाखों अरमान थे काग़ज़ पे निकाले कितने" : रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष – 8 : अंक - 28 : पृष्ठ - 47 : पृष्ठ - 3 : पृष्ठ के अन्त में काली पट्टी पर एक शे'र "अदना सा सिपाही ये कहे बहरे अदब का / बन जाऊँगा सुलतान अभी सीख रहा हूँ" : जनवरी-मार्च 2016 : भोपाल म.प्र.
“हवा के दोश पे किस गुलबदन की ख़ुशबू है " / "हर एक लफ़्ज़ पे वो जाँ निसार करता है " / " आँखों ने कह दिया जो कभी कह न पाए लब" : अभिनव इमरोज़ : वर्ष - 5 :अंक - 3 : मार्च 2016 : पृष्ठ- 86 : नई दिल्ली-70
"बेवफ़ाई का सिला भी जो वफ़ा देते हैं" : हिंदी साप्ताहिक "स्वर्ण जयंती प्रतिबिम्ब" : वर्ष -17 : अंक - 28 : महफ़िले शायरी : 31 वाँ अंक : मार्च 2016 : फरीदाबाद (हरियाणा)
 
आकाशवाणी-प्रसार भारती मुंबई के सम्वाहिका चैनल से रचनाओं/काव्यपाठ का प्रसारण-नवम्बर 2012
 
पुरस्कार, सम्मान एवं सहभागिता
 
मुंबई, देहली, भोपाल, पुणे, लखनऊ एवं कानपुर में 300 से अधिक मुशायरों, नाशिस्तों, कवि सम्मेलनों और काव्य गोष्ठियों में शिरकत
मुंबई की सामजिक एवं साहित्यिक संस्था आशीर्वाद द्वारा विशेष सम्मान मई 2008
निर्माता / निर्देशक म ना नरहरी जी द्वारा निर्मित 40 रचनाकारों के सामूहिक वीडियो एलबम "दस्तावेज़" में सहभागिता : लोकार्पण दिनांक 03.03.2013 - मुंबई (महाराष्ट्र)
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