भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सखियाँ / अरुण कमल

23 bytes added, 08:12, 5 नवम्बर 2009
|संग्रह = सबूत / अरुण कमल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
माथे पर जल भरा गगरा लिए
 
ठमक गई अचानक वह युवती
 
मुश्किल से गर्दन ज़रा-सी घुमाई
 
दायाँ तलवा पीछे उठाया
 
और सखी ने झुक कर
 
::::खींचा रेंगनी काँटा
 
और चल दी फिर दोनों सखियाँ
 
माथे पर जल लिए
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits