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ईश्वरानंद / पुष्पिता

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|संग्रह=हृदय की हथेली / पुष्पिता
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मैं तुम्हारे प्रेम का धान्य हूँ
 
और तुम
 
हृदय का विश्वास
 
तुम्हारी स्मृति-कुठले में
 
संचित उपजाए अन्न की तरह हूँ
 
अपनी अंत:सलिला में
 
रूपवान मछली की तरह
 तैरने देना चाहते हो मुझे।मुझे ।
तुम जीना चाहते हो मुझ में
 
प्रेम का सौंदर्य
 
और मैं पाना चाहती हूँ
 सौंदर्य-सुख! 
जीवन का विलक्षण आनन्द-- प्रेम
 धर्म के लिए ईश्वरानंद है जो।जो ।</poem>
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