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दाँतों की पंक्ति चमकी है॥
'''1014'''
मेरी पेंसिल प्यारी-प्यारी
और बनाओ तितली, गैया।
'''1115'''
देखो पुस्तक कितनी अच्छी
फूल-फलों से जी ललचाए.
'''1216'''
आई होली रंग कमाल,
किया साथियों संग धमाल॥
'''1317'''
मुँह रँगा है पीला-काला,
खिल-खिल करती भागी बाला॥
'''1418'''
सुबह सुहानी कितनी अच्छी
अपना भारत रहे महान।
'''1519'''
जब से देखो आया जाड़ा
झट से कोहरे में छिप जाता।
'''1620'''
हूँ कितनी चिंता का मारा
दादी कहतीं नैन का तारा।
'''1721'''
टिक-टिक करती चले घड़ी