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|रचनाकार=अरुणा राय
}}
मेरी {{KKCatKavita}}<brpoem>मेरी सारी दिशाओं को<br>अपने मृदु हास्य में बांध<br>कहां गुम हो गया है खुद <br><br>
कि <br> कैसा आततायी है रे तू<br><br>
तुझसे अच्छा तो<br>सितारा है वह<br>दूर है<br>पर हिलाए जा रहा <br> अपनी रोशन हथेली<br><br>
जो नहीं है रे तू<br>तो क्यों यह तेरी <br> अनुपस्थिति <br> ऐसी बेसंभाल है<br><br>
तू तो कहता है <br> कि मेरा प्यार है तू<br>तो फिर यह दर्द कैसा<br>दुश्वार है ... <br><br/poem>
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