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माहिए (191 से 200) / हरिराज सिंह 'नूर'

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191. कुछ भी न दवा खाई
काम दुआ माँ की
बेटे के बहुत आई
192. उसकी थी अगर पारी
क्यों न मिली उसको
इस पर है कलह जारी
 
193. गाँधी का करिश्मा था
हिन्द की धरती से
अंग्रेज़ जो लौटा था
 
194. आकाश से उतरी है
चाँद की शहज़ादी
भू जिससे कि निखरी है
 
195. सब से है बनी दूरी
वक़्त मुझे काटे
कैसी है ये मजबूरी
 
 
196. उसका है यही वादा
ग़ौर से तुम देखो
मंज़र हो कोई सादा
 
197. जो ताले से चाभी का
रिश्ता, वही रिश्ता
भाई से है भाभी का
 
198. तितली का भी फूलों से
रिश्ता पुराना है
जो लहर का कूलों से
 
199. होली की ये रंगोली
ख़ूब बनाई है
आ, देख ले हमजोली
 
200. सरसों की ये क्यारी है
फूल हिलें इस के
लगती बड़ी प्यारी है
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