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भात का भूगोल / शिरोमणि महतो

13 bytes added, 04:46, 29 अगस्त 2022
<poem>
पहले चावल को
बड़े यत्न से निरखा जाताहैफिर धोया जाता है स्वच्छ पानी मेंतन-मन को धोने की तरह,
फिर सनसनाते हुए अधन में
पितरों को नमन करते हुए
और चावल को उबलना पड़ता है
भात बनने के लिए
मानोंमानो,
सृजन का प्रस्थान बिन्दु होता है — दुख !
 
लगभग पौन घण्टा डबकने के बाद
एक भात को दबा कर परखा जाता है
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