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|रचनाकार=सौदा
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अक़्ल उस नादाँ में क्या जो तेरा दीवाना नहीं<br/>
नूर१ पर तेरे मगस२ है वो जो परवाना नहीं<br/>
''१६.टुकड़ा १७.नसीहत करने वाले का वचन''<br/>
<br/>
--[[सदस्य:विनय प्रजापति|विनय प्रजापति]] २२:२१, २७ दिसम्बर २००८ (UTC)