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|रचनाकार=सौदा
}}
[[category: ग़ज़ल]]
 
अक़्ल उस नादाँ में क्या जो तेरा दीवाना नहीं<br/>
नूर१ पर तेरे मगस२ है वो जो परवाना नहीं<br/>
ऐसे अहमक़ से मुख़ातिब हूँ मैं दीवाना नहीं<br/>
<br/>
'''शब्दार्थ:<br/>
''१.प्रकाश २.मक्खी ३.शराबी शब्द के सिवा कुछ और नहीं<br/>
''४.शराब का घड़ा ५.जान और पैमाने की आवश्यकता<br/>