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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>फिर मुझे दीदा-ए-तर<ref>भीगी हुई आँख</ref> याद आया
दिल जिगर तश्ना-ए-फ़रियाद<ref></ref> आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया दम लिया था न क़यामत ने हनोज़<brref>अभी</ref>दिल जिगर तश्नाफिर तेरा वक़्त-ए-फ़रियाद सफ़र याद आया<br><br>
दम लिया था न क़यामत ने हनोज़ <br>सादगी - हाए - तमन्ना, यानी फिर तेरा वक़्तवो नैरंगे-ए-सफ़र याद आया नज़र<brref>दृष्टि का सौन्दर्य<br/ref>याद आया
सादगी हाय तमन्ना यानी उज़्रे-वामान्दगी<brref>थकन का बहाना</ref> ऐ हसरते-दिल फिर वो नैइरंग-ए-नज़र नाला करता था जिगर याद आया <br><br>
उज़्र-ए-वामाँदगी ऐ हस्रत-ए-दिल <br>ज़िन्दगी यों भी गुज़र ही जाती नाला करता था जिगर क्यों तेरा राहगुज़र याद आया <br><br>
ज़िन्दगी यूँ भी गुज़र क्या ही जाती रिज़्वां<brref>स्वर्ग का दरबान</ref> से लड़ाई होगी क्यों घर तेरा राहगुज़र याद आया ख़ुल्द<brref>स्वर्ग<br/ref>में गर याद आया
क्या ही रिज़वान से लड़ाई होगी <br>आह वो जुर्रत-ए-फ़रियाद कहाँ घर तेरा ख़ुल्द में गर दिल से तंग आ के जिगर याद आया <br><br>
आह वो जुर्रतफिर तेरे कूचे को जाता है ख़याल दिल-ए-फ़रियाद कहाँ गुमगश्ता<brref>दिल से तंग आ के जिगर </ref> मगर याद आया <br><br>
फिर तेरे कूचे को जाता कोई वीरानी-सी वीरानी है ख़याल <br>दिल-ए-ग़ुमगश्ता मगर याद आया दश्त<brref>जंगल<br/ref>को देख के घर याद आया
कोई वीरानी-सी-वीराँई है <br>दश्त को देख के घर याद आया <br><br> मैं ने मजनूँ मैंने मजनूं पे लड़कपन में 'असद' संग<brref>पत्थर</ref>संग उठाया था के कि सर याद आया <br><br/poem>{{KKMeaning}}
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