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{{KKRachna
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
|संग्रह=मेरा सफ़र / अली सरदार जाफ़री
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<poem>
'''शह्‌रे याराँ'''
 
 
जिस पे नाज़िल हो रहा है अब मशीनों का अज़ाब
नग़्मः-ए-शाइस्तगिए-दस्तकाराँ था ये शहर
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