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|रचनाकार= आसी ग़ाज़ीपुरी
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<poem>
नहीं होता कि बढ़कर हाथ रख दें।
 
तड़पता देखते हैं, दिल हमारा॥
 
अगर क़ाबू न था दिल पर, बुरा था।
 
वहाँ जाना सरे-महफ़िल हमारा॥
 
यह हालत है तो शायद रहम आ जाय।
 
कोई उसको दिखा दे दिल हमारा॥
</Poem>
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