भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
}}
आज हो चाहे दूर भी जाना, मेरे साथी मेरे मीत!