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|संग्रह=कुछ और गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
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अब न जाने की करो बात, करीब आ जाओ
ख़त्म होगी न ये बरसात, करीब आ जाओ 
सो न जाए कोई, चुप, करवटें बदलता हुआ
 
आख़िरी प्यार की है रात, करीब आ जाओ
 
पास रहकर भी रहें दूर उम्र भर के लिए!
 
यह भी अच्छी है मुलाक़ात, करीब आ जाओ
 
दो दिलों बीच ज़रूरत ही किसी की क्या है!
 
तुमसे कहनी है कोई बात, करीब आ जाओ
 
फिर न लौटेंगे कभी बाग़ की डालों पे गुलाब
 
फिर न पाओगे ये सौगात, करीब आ जाओ
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