भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुछ शेर / फ़राज़

240 bytes added, 05:45, 26 सितम्बर 2010
13.
आँखों में छुपाये अश्कों को होंठों में वफ़ा के बोल लिये
इस जश्न में भी शामिल हूँ नौहों से भरा कश्कोल लिये  14.दिल के रिश्तों कि नज़ाक़त वो क्या जाने 'फ़राज़'नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती हैं चोटें अक्सर
</poem>
139
edits