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तेरी हँसी / सतीश बेदाग़

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किताब
वो एक किताब जो हम साथ पढ़ा करते हैं
सिरहाने नीचे वहीं की वहीं मिलेगी तुम्हें
वो ज़िन्दगी जिसे हम साथ जिया करते हैं
तुम्हारे पीछे वहीं की वहीं पड़ी है बंद
जहां से पन्ना मुड़ा देखो खोल लेना तुम
 
('एक चुटकी चाँदनी' से)