भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
ग़ज़ल{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=गोविन्द गुलशन |संग्रह=}}{{KKCatGhazal}}<Poem>
दिल है उसी के पास,हैं साँसें उसी के पास
देखा उसे तो रह गईं आँखें उसी के पास
उसको पता नहीं है वफ़ा क्या है,क्या जफ़ा
हम छोड़ आए दिल की किताबें उसी के पास
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits