भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
<poem>
शब्द-शब्द अनमोल परिंदे,
सुन्दर बोली बोल परिंदे !
जीवन-जीवन भूलभुलैया
दुनिया गोलम-गोल परिंदे!
जीवन -जीवन भूलभुलैया -छोटा मुँह मत बात बड़ी कर दुनिया गोलम- गोल खुल जाएगी पोल परिंदे !
शीशे के घर में रहकर ना
पत्थर-पत्थर तोल परिंदे!
छोटा मुँह बन्दर के हाथों में मत बात बड़ी कर -दे खुल जायेगी पोल झाल-मजीरा-ढोल परिंदे !
कुछ मन की मर्यादा रख ले
आँखों को मत घोल परिंदे!
शीशे के घर में रहकर ना -पत्थर -पत्थर तोल परिंदे !  बन्दर के हाथों में मत दे -झाल -मजीरा -ढोल परिंदे !  कुछ मन की मर्यादा रख ले -आंखों को मत घोल परिंदे !  कुछ "'प्रभात " ' के जैसा रच दे -अंतर -पट अब खोल परिंदे !
<poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,320
edits