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{{KKRachna
|रचनाकार=ग़ालिब
|संग्रह= दीवान-ए-ग़ालिब / ग़ालिब
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>इब्न-ए-मरियम <ref>मरियम के बेटे</ref> हुआ करे कोई
मेरे दुख की दवा करे कोई
शर'अ-ओ़-आईना <ref>पवित्र और धर्मनिरपेक्ष कानून</ref> पर मदार <ref>आधारित</ref> सही
ऐसे क़ातिल का क्या करे कोई
दिल में ऐसे के जा करे कोई
बात पर वां ज़बान कटती है वो कहें और सुना करे कोई
बक रहा हूँ जुनूं में क्या-क्या कुछ
कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई
न सुनो गर बुरा कहे कोई न कहो गर बुरा करे कोई
रोक लो, गर ग़लत चले कोई बख़्श दो गर ख़ता करे कोई
कौन है जो नहीं है हाजतमंद <ref>ज़रूरतमंद</ref>किसकी हाजत <ref>ज़रूरत</ref> रवा <ref>पूरी</ref> करे कोई
क्या किया ख़िज्र <ref>ख़िज्र सिकंदर का नौकर था और उसने सिकंदर को धोखा दिया था</ref> ने सिकंदर से अब किसे रहनुमा <ref>राह बताने वाला</ref> करे कोई
जब तवक़्क़ो <ref>उम्मीद</ref> ही उठ गयी "ग़ालिब" क्यों किसी का गिला करे कोई</poem>{{KKMeaning}}
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