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{{KKRachna
|रचनाकार=ग़ालिब
|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा<ref>दवा का आभारी</ref> न हुआ
मैं न अच्छा हुआ, बुरा न हुआ
जान दी, दी हुई उसी की थी
हक़ <ref>सच</ref> तो ये यूं है , कि हक़ <ref>दावा</ref> अदा न हुआ
ज़ख़्म गर दब गया, लहू न थमा
रहज़नी<ref>डाका</ref> है कि दिल-सितानी<ref>दिल की चोरी</ref> है?
लेके दिल दिलसितां<ref>प्रेमीदिल का चोर</ref> रवा<ref>राज़ी</ref> न रवाना हुआ
कुछ तो पढ़िये कि लोग कहते हैं
"आज 'ग़ालिब' ग़ज़लसरा<ref>ग़ज़ल सुनाने वाला</ref> न हुआ"</poem>
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