भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
सूना ही होगा वंशीवट
जब भी जायेंगे यमुना-तट
रोते ही जायेंगे
 
गाँव-गाँव में भीड़ लगाये
लोग कहेंगे पूर्व कथायें
पर कितनी भी बात बनायें
श्याम न मिल पायेंगे
 
फिर भी भुला काल की बाधा
क्या हरि सँग न दिखेगी राधा
जब अपने गीतों का आधा
पद भी हम गायेंगे
मेघ तो फिर-फिर ये छायेंगे
पर वैसे ही दिवस सुहाने क्या व्रज में आयेंगे!
<poem>
2,913
edits