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Kavita Kosh से
क्या बने बात जहाँ बात बनाये न बने <br><br>
मैं बुलाता तो हूँ उस को मगर अए ऐ जज़्बा-ए-दिल <br>
उस पे बन जाये कुछ ऐसी कि बिन आये न बने <br><br>