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मन से ही उत्पन्न हुए हैं
खो जाते हैं मन में
आते हैं जाते हैं
सुख दुख इस जीवन में ।
 
हो मन के अनुकूल
उसे ही सुख कहते हैं
आते हैं जाते हैं
सुख दुख इस जीवन में ।
 
दूल्हे जैसा सर्व प्रतीक्षित
सुख आता है
अनचाहे मेहमान सरीखा
दुख जाता है
एक गया तो दूजा आया
पड़ें न उलझन में
 
सुख फूलों सा मनमोहक
सुन्दर दिखता है
आते हैं जाते हैं
सुख दुख इस जीवन में ।
 
दोनों का ही कुछ स्वतन्त्र
अस्तित्व नहीं है
 
और किसी का कुछ भी
स्थायित्व नहीं है