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जैसा भी है समाज है मेरा
खेलता हूँ अदीब और ऐमन<ref> मेरे पोतों के नाम<r/efref> से
बस यही काम-काज है मेरा
मैं हमेशा रहा रहा ख़राज-गुज़ार<ref>लगान देने वाला<r/efref>
"शुक-ए-रब" ही ख़राज है मेरा