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|रचनाकार=प्रदीप मिश्र
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<poem>
'''नींद'''
नींद उस बच्चे की
जिसे परियाँ खिला रहीं हैं
नींद उस किसान की
जो रात भरúभर
बिवाई की तरह फटे खेतों में
हल जोतकर लौटा है अभी
नींद उस युवती की
जिसके अन्दर
सपनों का समुन्द्र समुद्र पछाड़ खा रहा है
नींद उस बूढ़े की