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− | + | नये साल की पहली सुबह तुम्हें क्या दूं मैं ? | |
− | + | एक फूल अमन के लिए, | |
+ | एक बन्दूक आज़ादी के लिए, | ||
+ | एक किताब संग-साथ के लिए ? | ||
+ | तुम्हारी आंखों के लिए नयी चमक ? | ||
+ | तुम्हारे ख़ून के लिए नयी गरमी, | ||
+ | तुम्हरे प्रेम के लिए नयी नरमी, | ||
+ | दिल के लिए नयी आशा, संघर्ष के लिए नयी भाषा ? | ||
+ | नये वर्ष में दूर हों ग़म, | ||
+ | नये वर्ष में मिटें सितम, | ||
+ | नये वर्ष में दुख हों कम, | ||
+ | सिर झुकें नहीं, बांहें थकें नहीं, | ||
+ | टूटें सभी बेड़ियां, मिले नया दम । | ||
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20:26, 31 दिसम्बर 2010 का अवतरण
सप्ताह की कविता | शीर्षक : नये साल की पहली सुबह रचनाकार: नीलाभ |
नये साल की पहली सुबह तुम्हें क्या दूं मैं ? एक फूल अमन के लिए, एक बन्दूक आज़ादी के लिए, एक किताब संग-साथ के लिए ? तुम्हारी आंखों के लिए नयी चमक ? तुम्हारे ख़ून के लिए नयी गरमी, तुम्हरे प्रेम के लिए नयी नरमी, दिल के लिए नयी आशा, संघर्ष के लिए नयी भाषा ? नये वर्ष में दूर हों ग़म, नये वर्ष में मिटें सितम, नये वर्ष में दुख हों कम, सिर झुकें नहीं, बांहें थकें नहीं, टूटें सभी बेड़ियां, मिले नया दम ।