भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आँच / अरुण चन्द्र रॉय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरुण चन्द्र रॉय |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> '''1.''' सही आँच प…)
 
पंक्ति 18: पंक्ति 18:
 
अपना धैर्य
 
अपना धैर्य
  
'''2.'
+
'''2.
 
जब तक
 
जब तक
 
चूल्हे में रहती है
 
चूल्हे में रहती है

12:01, 23 दिसम्बर 2010 का अवतरण

1.
सही आँच पर
पकती है
रोटी
नरम और
स्वादिष्ट
बताया था
तुमने
जब खो रहा था
मैं
अपना धैर्य

2.
जब तक
चूल्हे में रहती है
आँच
रहती है
मर्यादित

3.
रिश्तों को
सहेजने के लिए भी
चाहिए
भावों की
सही आँच
समय-समय पर

4.
आँच
कई बार
शीतल होती है
जैसे
तुम्हारे
आँचल की आँच
जिसने
अपनी नरमाहट से
दिया ए़क नया जीवन