भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कविता की गंभीर पंक्ति / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …) |
छो ("कविता की गंभीर पंक्ति / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
23:24, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
कविता की गंभीर पंक्ति के शांत विभव के सुस्पंदन में
हम निहारते हैं लहराते देवदास का पेड़ मेड़ पर
और कथानक जब रूपायित हो जाता है सुंदरता से
हम अनुभव करते हैं रक्षित हुए किसी ‘हायोर्न’ कुंज का
लेकिन जब वह अपने चिंचित पंख पसारे आगे चलता
उसके मनमोहक आलेखन में आत्मा अपनी खोती है।