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प्रकाशित खड़ा है
पारदर्शी दिन
तेजस्वी सूर्य का सिर
ऊपर उठाए
चराचर सृष्टि को
चिन्मय बनाए
मुझे
आत्मीय भाव से
अपनाए।
रचनाकाल: १६-०९-१९९१