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दिन था भीषण गर्मी का | दिन था भीषण गर्मी का | ||
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मन मेरा तुझसे मिलने को अकुलाया | मन मेरा तुझसे मिलने को अकुलाया | ||
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भरी दुपहरी, तेज़ धूप थी | भरी दुपहरी, तेज़ धूप थी | ||
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चार कोस पैदल चलकर मैं तुझ से मिलने आया | चार कोस पैदल चलकर मैं तुझ से मिलने आया | ||
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पर बन्द थी तेरी कुटीर | पर बन्द थी तेरी कुटीर | ||
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तुझे देखने को आतुर | तुझे देखने को आतुर | ||
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मगन मन मेरा था अधीर | मगन मन मेरा था अधीर | ||
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चल रही थी उत्तप्त लू, झुलसाती थी शरीर | चल रही थी उत्तप्त लू, झुलसाती थी शरीर | ||
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उस बन्द कुटी के सम्मुख ही मैं सारा दिन बैठा आया | उस बन्द कुटी के सम्मुख ही मैं सारा दिन बैठा आया | ||
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कपोत-कंठी तू ललाम वामा | कपोत-कंठी तू ललाम वामा | ||
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अभिसारिका, अनुपमा, मादक, कामा | अभिसारिका, अनुपमा, मादक, कामा | ||
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हृदय बिंधे तेरे सम्मोहक बाण | हृदय बिंधे तेरे सम्मोहक बाण | ||
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वशीकरण बंधे थे मेरे प्राण | वशीकरण बंधे थे मेरे प्राण | ||
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उस दिवस ही कवि बना मैं, उस दिवस ही पगलाया | उस दिवस ही कवि बना मैं, उस दिवस ही पगलाया | ||
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1999 में रचित | 1999 में रचित | ||
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12:30, 8 फ़रवरी 2011 का अवतरण
दिन था भीषण गर्मी का
मन मेरा तुझसे मिलने को अकुलाया
भरी दुपहरी, तेज़ धूप थी
चार कोस पैदल चलकर मैं तुझ से मिलने आया
पर बन्द थी तेरी कुटीर
तुझे देखने को आतुर
मगन मन मेरा था अधीर
चल रही थी उत्तप्त लू, झुलसाती थी शरीर
उस बन्द कुटी के सम्मुख ही मैं सारा दिन बैठा आया
कपोत-कंठी तू ललाम वामा
अभिसारिका, अनुपमा, मादक, कामा
हृदय बिंधे तेरे सम्मोहक बाण
वशीकरण बंधे थे मेरे प्राण
उस दिवस ही कवि बना मैं, उस दिवस ही पगलाया
1999 में रचित