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"मैकाले के खिलौने / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर
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− | मेड इन जापान | + | मेड इन जापान खिलौनों से, |
− | खिलौनों से सस्ते हैं | + | सस्ते हैं लार्ड मैकाले के । |
− | लार्ड मैकाले के ये नये खिलौने | + | ये नये खिलौने, इन को लो, |
+ | पैसे के सौ-सौ, दो-दो सौ ।। | ||
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+ | अँग्रेज़ी ख़ूब बोलते ये, | ||
+ | सिगरेट भी अच्छी पीते हैं । | ||
+ | हो सकते हैं सौ से दो सौ, | ||
+ | ये नये खिलौने मैकाले के ।। | ||
− | + | ये सदा रहेंगे बन सेवक, | |
− | + | हर रोज़ करें झुककर सलाम । | |
− | + | हैं कहीं नहीं भी दुनिया में, | |
− | + | मिलते इतने क़ाबिल ग़ुलाम । | |
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तब तक यह घटने के बजाय | तब तक यह घटने के बजाय | ||
− | हो जायेंगे करोडों-लाखों | + | हो जायेंगे करोडों-लाखों । |
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ये सस्ते हैं इन्हें ले लो | ये सस्ते हैं इन्हें ले लो | ||
− | पैसे के सौ-सौ दो-दो सौ । | + | पैसे के सौ-सौ, दो-दो सौ । |
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21:56, 23 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
इस कविता में कवि ने अँग्रेज़ों की जी-हुज़ूरी करने वाले अँग्रज़ी-भक्त-भारतीयों पर व्यंग्य कसा है
मेड इन जापान खिलौनों से,
सस्ते हैं लार्ड मैकाले के ।
ये नये खिलौने, इन को लो,
पैसे के सौ-सौ, दो-दो सौ ।।
अँग्रेज़ी ख़ूब बोलते ये,
सिगरेट भी अच्छी पीते हैं ।
हो सकते हैं सौ से दो सौ,
ये नये खिलौने मैकाले के ।।
ये सदा रहेंगे बन सेवक,
हर रोज़ करें झुककर सलाम ।
हैं कहीं नहीं भी दुनिया में,
मिलते इतने क़ाबिल ग़ुलाम ।
..................
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तब तक यह घटने के बजाय
हो जायेंगे करोडों-लाखों ।
ये सस्ते हैं इन्हें ले लो
पैसे के सौ-सौ, दो-दो सौ ।