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"छतरी वाला जाल छोड़कर / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर

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छतरी वाला जाल छोड़कर
 
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एक बंदरिया कूदी धम से
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बोली तुम से, बोली हम से,
 
बोली तुम से, बोली हम से,
 
 
बचपन में ही बापू जी का प्यार मिला था
 
बचपन में ही बापू जी का प्यार मिला था
 
 
सात समन्दर पार पिता के धनी दोस्त थे
 
सात समन्दर पार पिता के धनी दोस्त थे
 
 
देखो, मुझको यही, नौलखा हार मिला था
 
देखो, मुझको यही, नौलखा हार मिला था
 
 
पिता मरे तो हमदर्दी का तार मिला था
 
पिता मरे तो हमदर्दी का तार मिला था
 
 
आज बनी मैं किष्किन्धा की रानी
 
आज बनी मैं किष्किन्धा की रानी
 
 
सारे बन्दर, सारे भालू भरा करें अब पानी
 
सारे बन्दर, सारे भालू भरा करें अब पानी
 
 
मुझे नहीं कुछ और चाहिए तरुणों से मनुहार
 
मुझे नहीं कुछ और चाहिए तरुणों से मनुहार
 
 
जंगल में मंगल रचने का मुझ पर दारमदार
 
जंगल में मंगल रचने का मुझ पर दारमदार
 
 
जी, चन्दन का चरखा लाओ, कातूँगी मैं सूत
 
जी, चन्दन का चरखा लाओ, कातूँगी मैं सूत
 
 
बोलो तो, किस-किस के सिर से मैं उतार दूँ भूत
 
बोलो तो, किस-किस के सिर से मैं उतार दूँ भूत
 
 
तीन रंग का घाघरा, ब्लाउज गांधी-छाप
 
तीन रंग का घाघरा, ब्लाउज गांधी-छाप
 
 
एक बंदरिया उछल रही है देखो अपने आप
 
एक बंदरिया उछल रही है देखो अपने आप
  
  
(1967 में रचित)
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'''(1967 में रचित)
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02:01, 9 मई 2009 का अवतरण

छतरी वाला जाल छोड़कर
अरे, हवाई डाल छोड़कर
एक बंदरिया कूदी धम से
बोली तुम से, बोली हम से,
बचपन में ही बापू जी का प्यार मिला था
सात समन्दर पार पिता के धनी दोस्त थे
देखो, मुझको यही, नौलखा हार मिला था
पिता मरे तो हमदर्दी का तार मिला था
आज बनी मैं किष्किन्धा की रानी
सारे बन्दर, सारे भालू भरा करें अब पानी
मुझे नहीं कुछ और चाहिए तरुणों से मनुहार
जंगल में मंगल रचने का मुझ पर दारमदार
जी, चन्दन का चरखा लाओ, कातूँगी मैं सूत
बोलो तो, किस-किस के सिर से मैं उतार दूँ भूत
तीन रंग का घाघरा, ब्लाउज गांधी-छाप
एक बंदरिया उछल रही है देखो अपने आप


(1967 में रचित)