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"अभी-अभी उस दिन / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर

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अभी-अभी उस दिन मिनिस्टर आए थे
 
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बत्तीसी दिखलाई थी, वादे दुहराए थे
 
बत्तीसी दिखलाई थी, वादे दुहराए थे
 
 
भाखा लटपटाई थी, नैन शरमाए थे
 
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छपा हुआ भाषण भी पढ़ नहीं पाए थे
 
छपा हुआ भाषण भी पढ़ नहीं पाए थे
 
 
जाते वक्त हाथ जोड़ कैसे मुस्कराए थे
 
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अभी-अभी उस दिन...
 
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धरती की कोख जली, पौधों के प्राण, गए
 
धरती की कोख जली, पौधों के प्राण, गए
 
 
मंत्रियों की मंत्र-शक्ति अब मान गए
 
मंत्रियों की मंत्र-शक्ति अब मान गए
 
 
हालत हुई पतली, गहरी छान गए
 
हालत हुई पतली, गहरी छान गए
 
 
युग-युग की ठगिनी माया को जान गए
 
युग-युग की ठगिनी माया को जान गए
 
 
फैलाकर जाल-जूल रस्सियाँ तान गए
 
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धरती की...
 
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(1953 में रचित)
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01:59, 9 मई 2009 का अवतरण

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अभी-अभी उस दिन मिनिस्टर आए थे
बत्तीसी दिखलाई थी, वादे दुहराए थे
भाखा लटपटाई थी, नैन शरमाए थे
छपा हुआ भाषण भी पढ़ नहीं पाए थे
जाते वक्त हाथ जोड़ कैसे मुस्कराए थे
अभी-अभी उस दिन...

धरती की कोख जली, पौधों के प्राण, गए
मंत्रियों की मंत्र-शक्ति अब मान गए
हालत हुई पतली, गहरी छान गए
युग-युग की ठगिनी माया को जान गए
फैलाकर जाल-जूल रस्सियाँ तान गए
धरती की...


(1953 में रचित)