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01:42, 21 मई 2011 के समय का अवतरण
बिना विद्या के भारत देश,
कैसी हुई गति तुम्हारी ।
लोग कहत हैं मोटर गाड़ी बहुत चलत है रेस
काठ का घोड़ा घंटा भर में चले सत्तासी कोस
राजा भोज के सवारी ।
बिना विद्या .........
ग्रामोंफोन के बोली सुन के लोग भयो लवलीन ।
विक्रमादित्य के तख्त के नीचे बत्तीस लगे मशीन,
जेहिमें बोली निकले न्यारी-न्यारी ।
बिना विद्या के .........