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"पहाड़ हैं / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर

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22:44, 29 दिसम्बर 2007 के समय का अवतरण


वे नींद के पहाड़ हैं

फैले हुए निमग्न

पहाड़ों पर

आती है नींद


(1988 में रचित)