Changes

{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-१
|संग्रह=आमीन / आलोक श्रीवास्तव-१
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
भौचक्की है आत्मा, साँसे भी वीरान,
हुक्म दिया है जिस्म नें खाली करो मकान |
मान बेटे के नेह में एक सघन विस्तार
ताजमहल की रूह में जमाना जी का प्यार
 
</poem>