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"चंद्रोदय / दिनेश कुमार शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

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<poem>
+
उड़ो हंस !
नीले पीले लाल सुनहरे
+
गहरे-गहरे रंग
+
घटा में उभर रहे हैं
+
  
शायद कोई पृथ्वी
+
इस सोती हुई नीलिमा में
नभ के अन्तरतम में
+
कुछ
जन्म ले रही
+
लहरें पैदा करो
  
हो सकता है
+
तुम्हारे उड़ने से
बादल के परदों के पीछे
+
चन्द्रमा उदय होकर
रंगमंच हो
+
मुँडेर तक आ जायेगा
किसी दूसरी ही दुनिया का
+
 
</poem>
 
</poem>

18:30, 10 फ़रवरी 2011 का अवतरण

उड़ो हंस !

इस सोती हुई नीलिमा में कुछ लहरें पैदा करो

तुम्हारे उड़ने से चन्द्रमा उदय होकर मुँडेर तक आ जायेगा </poem>