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23:38, 21 मार्च 2011 का अवतरण
सप्ताह की कविता | शीर्षक : एक देश और मरे हुए लोग रचनाकार: विमलेश त्रिपाठी |
एक मरा हुआ आदमी घर में एक सड़क पर एक बेतहाशा॔ भागता किसी चीज़ की तलाश में एक मरा हुआ लालकिले से घोषणा करता कि हम आज़ाद हैं कुछ मरे हुए लोग तालियाँ पीटते कुछ साथ मिलकर मनाते जश्न हद तो तब जब एक मरा हुआ संसद में पहुँचा और एक दूसरे मरे हुए पर एक ने जूते से किया हमला एक मरे हुए आदमी ने कई मरे हुए लोगों पर एक कविता लिखी और एक मरे हुए ने उसे पुरस्कार दिया एक देश है जहाँ मरे हुए लोगों की मरे हुए लोगों पर हुकूमत जहाँ हर रोज़ होती हज़ार से कई गुना अधिक मौतें अरे कोई मुझे उस देश से निकालो कोई तो मुझे मरने से बचा लो