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"ख़ूबसूरत फ़रेब शादी है / ज़िया फ़तेहाबादी" के अवतरणों में अंतर
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:आलम ए वज्द ओ बेख़ुदी में तुझे | :आलम ए वज्द ओ बेख़ुदी में तुझे | ||
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:ऐ ज़मीं हम ने तेरे क़दमों पर | :ऐ ज़मीं हम ने तेरे क़दमों पर | ||
− | :आसमाँ की जबीं झुका दी है | + | :आसमाँ की जबीं झुका दी है | |
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− | :किश्ती ए जब्र डगमगा दी है | + | :किश्ती ए जब्र डगमगा दी है | |
:कोशिश ए अमन तो बजा है मगर | :कोशिश ए अमन तो बजा है मगर | ||
− | :आदमी फ़ितरतन फ़सादी है | + | :आदमी फ़ितरतन फ़सादी है | |
:ऐ ख़ुदा तू ने अपने बन्दों को | :ऐ ख़ुदा तू ने अपने बन्दों को | ||
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07:27, 7 अप्रैल 2011 का अवतरण
ख़ूबसूरत फ़रेब शादी है |
फ़ितरत ए ग़म ही मुस्करा दी है |
हम ने छेड़ा है जब भी साज़ ए जुनूँ
तीरगी शब की गुनगुना दी है |
आलम ए वज्द ओ बेख़ुदी में तुझे
हम ने आवाज़ बारहा दी है |
ऐ ज़मीं हम ने तेरे क़दमों पर
आसमाँ की जबीं झुका दी है |
हम ने तूफ़ान ए शोर ओ शेवन से
किश्ती ए जब्र डगमगा दी है |
कोशिश ए अमन तो बजा है मगर
आदमी फ़ितरतन फ़सादी है |
ऐ ख़ुदा तू ने अपने बन्दों को
ज़िन्दगी की कड़ी सज़ा दी है |
ऐ " ज़िया " क़लब ए इश्क़ परवर में
हुस्न ने आग-सी लगा दी है |