गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
क़ौस ए कुज़ाह / ज़िया फ़तेहाबादी
2 bytes removed
,
05:57, 8 अप्रैल 2011
}}
{{KKCatNazm}}
<poem>
मेहर ए रोशन की आख़िरी किरणें
रक़स करती हैं काले बादल में
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,277
edits