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"बजा हथौड़ा, ठन-ठन-ठन ! / नचिकेता" के अवतरणों में अंतर

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बजा हथौड़ा ठन-ठन-ठन
 
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मिटके रहेगा अब शोषण
 
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यह नकली आज़ादी भी
 
यह नकली आज़ादी भी
 
 
ख़ून हमारा पीती है
 
ख़ून हमारा पीती है
 
 
औ' सरमायेदारों की
 
औ' सरमायेदारों की
 
 
बस्ती में ही जीती है
 
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हँसिये की है भौंह तनी
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मिटके रहेगा क्रूर दमन
 
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बजा हथौड़ा ठन-ठन-ठन
 
बजा हथौड़ा ठन-ठन-ठन
 
 
मिटके रहेगा अब शोषण
 
मिटके रहेगा अब शोषण
 
  
 
सत्ताधारी के घर में
 
सत्ताधारी के घर में
 
 
अब न मनेगी दीवाली
 
अब न मनेगी दीवाली
 
 
देती है संदेश हमें
 
देती है संदेश हमें
 
 
उगते सूरज की लाली
 
उगते सूरज की लाली
 
 
तूफ़ानों ने ही आख़िर
 
तूफ़ानों ने ही आख़िर
 
 
दिया हमें फिर आमंत्रण
 
दिया हमें फिर आमंत्रण
  
 
बजा हथौड़ा ठन-ठन-ठन
 
बजा हथौड़ा ठन-ठन-ठन
 
 
मिटके रहेगा अब शोषण
 
मिटके रहेगा अब शोषण
  
  
 
हर घर की दीवारों की
 
हर घर की दीवारों की
 
 
सुलगी आज निगाहें हैं
 
सुलगी आज निगाहें हैं
 
 
हक़ की बड़ी लड़ाई को
 
हक़ की बड़ी लड़ाई को
 
 
फड़क रही फिर बाहें हैं
 
फड़क रही फिर बाहें हैं
 
 
दशों दिशाओं में गूँजी
 
दशों दिशाओं में गूँजी
 
 
हथियारों की खन-खन-खन !
 
हथियारों की खन-खन-खन !
  
 
बजा हथौड़ा ठन-ठन-ठन !
 
बजा हथौड़ा ठन-ठन-ठन !
 
 
मिटके रहेगा अब शोषण !
 
मिटके रहेगा अब शोषण !
  
  
(1977 में रचित)
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'''(1977 में रचित)
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17:55, 24 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

बजा हथौड़ा ठन-ठन-ठन
मिटके रहेगा अब शोषण

यह नकली आज़ादी भी
ख़ून हमारा पीती है
औ' सरमायेदारों की
बस्ती में ही जीती है
हँसिये की है भौंह तनी
मिटके रहेगा क्रूर दमन

बजा हथौड़ा ठन-ठन-ठन
मिटके रहेगा अब शोषण

सत्ताधारी के घर में
अब न मनेगी दीवाली
देती है संदेश हमें
उगते सूरज की लाली
तूफ़ानों ने ही आख़िर
दिया हमें फिर आमंत्रण

बजा हथौड़ा ठन-ठन-ठन
मिटके रहेगा अब शोषण


हर घर की दीवारों की
सुलगी आज निगाहें हैं
हक़ की बड़ी लड़ाई को
फड़क रही फिर बाहें हैं
दशों दिशाओं में गूँजी
हथियारों की खन-खन-खन !

बजा हथौड़ा ठन-ठन-ठन !
मिटके रहेगा अब शोषण !


(1977 में रचित)