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"संगीत के रहते / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर
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बाक़ाइदगी से माँ को ख़त लिखेगा, ढिबरी जलाकर | बाक़ाइदगी से माँ को ख़त लिखेगा, ढिबरी जलाकर | ||
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जंगल से | जंगल से | ||
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यह आदमी रोएगा नहीं जब जिस्म में ख़ून की बहुत कमी होगी | यह आदमी रोएगा नहीं जब जिस्म में ख़ून की बहुत कमी होगी | ||
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थकान क़ाइदा बन जाएगी रोज़ का तब यह नहीं थकेगा | थकान क़ाइदा बन जाएगी रोज़ का तब यह नहीं थकेगा | ||
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अख़ीर में इसको भी अहसास हो जाएगा | अख़ीर में इसको भी अहसास हो जाएगा | ||
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कि देखो, हारी हुई लड़ाईयाँ कितने काम आती हैं । | कि देखो, हारी हुई लड़ाईयाँ कितने काम आती हैं । | ||
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19:11, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
यह आदमी अपनी पसंद के संगीत में
रास्ते पर आ जाएगा, देखता हुआ
बाक़ाइदगी से माँ को ख़त लिखेगा, ढिबरी जलाकर
जंगल से
यह आदमी रोएगा नहीं जब जिस्म में ख़ून की बहुत कमी होगी
थकान क़ाइदा बन जाएगी रोज़ का तब यह नहीं थकेगा
अख़ीर में इसको भी अहसास हो जाएगा
कि देखो, हारी हुई लड़ाईयाँ कितने काम आती हैं ।