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"नामुराद औरत / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=बहनें और अन्य कविताएँ / असद ज़ैदी
 
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नामुराद औरत
 
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रोटी जला देती है
 
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बीस साल पहले किसी ने
 
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इसकी लुटिया डुबो दी थी
 
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प्यार में
 
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नामुराद औरत के पास
 
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उस वक़्त
 
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दो जोड़ी कपड़े थे
 
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नामुराद औरत भूल गई थी
 
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दुपट्टा ओढ़ने का सलीक़ा
 
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नामुराद औरत की
 
नामुराद औरत की
 
 
फटी थी घुटनों पर से शलवार
 
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इतने बरस बीत गए
 
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बेशरम उतनी ही है
 
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बेशऊर उतनी ही है
 
बेशऊर उतनी ही है
 
  
 
अब तो देखो इसकी
 
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एक आँख भी जा रही है
 
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19:13, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

नामुराद औरत
रोटी जला देती है

बीस साल पहले किसी ने
इसकी लुटिया डुबो दी थी
प्यार में

नामुराद औरत के पास
उस वक़्त
दो जोड़ी कपड़े थे

नामुराद औरत भूल गई थी
दुपट्टा ओढ़ने का सलीक़ा
नामुराद औरत की
फटी थी घुटनों पर से शलवार

इतने बरस बीत गए
बेशरम उतनी ही है
बेशऊर उतनी ही है

अब तो देखो इसकी
एक आँख भी जा रही है