भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हिन्दी कविता में मुक्तिबोध / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=राम जी भला करें / अनिल जनविजय
 
|संग्रह=राम जी भला करें / अनिल जनविजय
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita‎}}
 +
<poem>
 
भोजन के वक़्त
 
भोजन के वक़्त
 
 
गस्सा चबाते हुए
 
गस्सा चबाते हुए
 
 
दाँतों के बीच
 
दाँतों के बीच
 
 
जैसे महसूस हो किरकिरी
 
जैसे महसूस हो किरकिरी
 
 
वैसे हैं मुक्तिबोध
 
वैसे हैं मुक्तिबोध
 
 
हिन्दी कविता में
 
हिन्दी कविता में
 
  
 
(1980 में रचित)
 
(1980 में रचित)
 +
</poem>

12:20, 8 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

भोजन के वक़्त
गस्सा चबाते हुए
दाँतों के बीच
जैसे महसूस हो किरकिरी
वैसे हैं मुक्तिबोध
हिन्दी कविता में

(1980 में रचित)