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मटमैली गीली संध्याएँ । | मटमैली गीली संध्याएँ । | ||
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हल्के हाथों के तकिए पर | हल्के हाथों के तकिए पर | ||
सिर रखकर सो गई हवाएँ । | सिर रखकर सो गई हवाएँ । | ||
− | + | टूटे तारों का विज्ञापन | |
− | + | खोया-खोया-सा अपनापन | |
दूर अँधेरे में घोड़े की | दूर अँधेरे में घोड़े की | ||
टाप बन गईं नई दिशाएँ । | टाप बन गईं नई दिशाएँ । | ||
− | + | इस टीले से उस टीले तक | |
− | + | एक शब्द सिन्दूर मुबारक | |
सबसे भली नींद की गोली | सबसे भली नींद की गोली | ||
जब चाहें खाकर सो जाएँ । | जब चाहें खाकर सो जाएँ । | ||
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21:58, 2 मई 2011 का अवतरण
मटमैली गीली संध्याएँ ।
सूरज बुझा बैंगनी, नीला
बीत गया दिन पीला-पीला
हल्के हाथों के तकिए पर
सिर रखकर सो गई हवाएँ ।
टूटे तारों का विज्ञापन
खोया-खोया-सा अपनापन
दूर अँधेरे में घोड़े की
टाप बन गईं नई दिशाएँ ।
इस टीले से उस टीले तक
एक शब्द सिन्दूर मुबारक
सबसे भली नींद की गोली
जब चाहें खाकर सो जाएँ ।