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सीधे-सीधे अपने चेहरे के बारे में | सीधे-सीधे अपने चेहरे के बारे में | ||
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यह माध्यम आईना भी हो सकता है | यह माध्यम आईना भी हो सकता है | ||
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नदी का परदर्शी जल भी | नदी का परदर्शी जल भी | ||
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नदी भी निर्भर है बादल पर | नदी भी निर्भर है बादल पर | ||
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बादल भी निर्भर है सूरज पर | बादल भी निर्भर है सूरज पर | ||
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धूप, हवा, पानी सब कुछ निर्भर है | धूप, हवा, पानी सब कुछ निर्भर है | ||
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कहीं न कहीं किसी पर | कहीं न कहीं किसी पर | ||
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बचा लीजिए अपनी नदी | बचा लीजिए अपनी नदी | ||
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उसका पारदर्शी जल | उसका पारदर्शी जल | ||
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बोलने दीजिए आईने को सब कुछ सच-सच | बोलने दीजिए आईने को सब कुछ सच-सच | ||
− | + | अपने आपको जानने के लिए ज़रूरी है इन सबका होना। | |
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23:17, 16 मई 2011 के समय का अवतरण
जैसे सीधे-सीधे देख नहीं सकते अपना चेहरा
जान नहीं सकते
सीधे-सीधे अपने चेहरे के बारे में
जानने के लिए या तो देखना होगा आईना
या विश्वास करना पड़ेगा किसी के बताए पर
वह जो बताएगा
कितना सही होगा, कितना ग़लत
यह जानने के लिए भी ज़रूरी है कोई न कोई माध्यम
यह माध्यम आईना भी हो सकता है
नदी का परदर्शी जल भी
नदी भी निर्भर है बादल पर
बादल भी निर्भर है सूरज पर
धूप, हवा, पानी सब कुछ निर्भर है
कहीं न कहीं किसी पर
बचा लीजिए अपनी नदी
उसका पारदर्शी जल
बोलने दीजिए आईने को सब कुछ सच-सच
अपने आपको जानने के लिए ज़रूरी है इन सबका होना।