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"बुरे वक्त की कविता / रमेश नीलकमल" के अवतरणों में अंतर
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− | - बर्तोला ब्रेख्त | + | - '''बर्तोला ब्रेख्त''' |
बुरे वक्त की कविता इतनी बुरी नहीं होती कि | बुरे वक्त की कविता इतनी बुरी नहीं होती कि |
16:36, 20 मई 2011 के समय का अवतरण
क्या अँधेरे वक्त में भी गीत गाए जाएंगे
हाँ अँधेरे के बारे में भी गीत गाए जाएंगे
- बर्तोला ब्रेख्त
बुरे वक्त की कविता इतनी बुरी नहीं होती कि
उसे पढ़ा न जाए।
बुरे वक्त की कविता इतनी अच्छी भी नहीं होती
कि उसे पढ़कर बुरा वक्त काट लिया जाए।
बुरा वक्त इतना बुरा भी नहीं होता कि आरोप-पत्र
तैयार कर उसपर मुकदमा ठोक दिया जाए।
बुरे वक्त में इतनी अच्छाई भी नहीं रहती कि
कर लें इन्तजार अच्छे वक्त का कि तब सबकुछ
ठीक हो जायगा अपने आप।
असल में बुरे वक्त के खिलाफ जुटते हैं लोग
आवाहनों पर और वक्त को और भी बुरा
बनाकर लौटते हैं अपने-अपने घर फहराते
हुए परचम अच्छे वक्त का।
29.3.1997