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"करीमन और अशर्फ़ी / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

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शाहनवाज़ खाँ
 
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तुम अपनी अंटी से तूतनखामेन की
 
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अशर्फ़ी निकालना ।
 
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उधर हाट के सबसे आख़िरी छोर पर
 
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नीम के नीचे
 
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टाट पर
 
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कई साल से अपनी झुर्रियों समेत बैठी
 
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करीमन किरानची होगी ।
 
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तुम उससे अशर्फ़ी के बदले
 
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लहसुन माँगना ।
 
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कि वह नहीं देगी ।
 
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23:43, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

शाहनवाज़ खाँ
तुम अपनी अंटी से तूतनखामेन की
अशर्फ़ी निकालना ।

उधर हाट के सबसे आख़िरी छोर पर
नीम के नीचे
टाट पर
कई साल से अपनी झुर्रियों समेत बैठी
करीमन किरानची होगी ।

तुम उससे अशर्फ़ी के बदले
लहसुन माँगना ।

यह शर्त रही
कि वह नहीं देगी ।