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"उसके दिन / पवन करण" के अवतरणों में अंतर
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उड़ने को बेताब उसके दिन | उड़ने को बेताब उसके दिन | ||
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मेरे हाथों में | मेरे हाथों में | ||
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फड़फड़ा रहे हैं | फड़फड़ा रहे हैं | ||
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मेरे कानों में रेंग रहे हैं | मेरे कानों में रेंग रहे हैं | ||
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उसके शब्द | उसके शब्द | ||
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उसकी इच्छाएँ | उसकी इच्छाएँ | ||
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मेरी जेबों में भरी पड़ी हैं | मेरी जेबों में भरी पड़ी हैं | ||
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उसकी लहलहाती देह | उसकी लहलहाती देह | ||
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जिसे बुरी तरह रौंदकर | जिसे बुरी तरह रौंदकर | ||
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मैं अभी-अभी लौटा हूँ | मैं अभी-अभी लौटा हूँ | ||
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मेरी टापों के नीचे | मेरी टापों के नीचे | ||
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पकी फसल जैसी है | पकी फसल जैसी है | ||
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वह जो एक दिन मेरे | वह जो एक दिन मेरे | ||
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पीछे-पीछे आई थी चलकर | पीछे-पीछे आई थी चलकर | ||
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मेरे विस्तार में | मेरे विस्तार में | ||
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ख़ुद को खोज रही है | ख़ुद को खोज रही है | ||
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20:33, 31 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
उड़ने को बेताब उसके दिन
मेरे हाथों में
फड़फड़ा रहे हैं
मेरे कानों में रेंग रहे हैं
उसके शब्द
उसकी इच्छाएँ
मेरी जेबों में भरी पड़ी हैं
उसकी लहलहाती देह
जिसे बुरी तरह रौंदकर
मैं अभी-अभी लौटा हूँ
मेरी टापों के नीचे
पकी फसल जैसी है
वह जो एक दिन मेरे
पीछे-पीछे आई थी चलकर
मेरे विस्तार में
ख़ुद को खोज रही है